Wife Property Rights Update: पति की संपत्ति में अब पत्नी को मिलेगा पूरा हक? सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदल देगा नजरिया!

Wife Property Rights Update को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐसा ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जो विवाहित महिलाओं के अधिकारों को एक नया आयाम देने जा रहा है। इस फैसले का प्रभाव न सिर्फ महिलाओं की सामाजिक स्थिति पर पड़ेगा, बल्कि पति-पत्नी के बीच संपत्ति अधिकारों को लेकर बनी पुरानी धारणाओं को भी पूरी तरह बदल देगा। कोर्ट का यह निर्णय स्पष्ट करता है कि विवाह सिर्फ सामाजिक बंधन नहीं, बल्कि आर्थिक साझेदारी भी है, जिसमें पत्नी को पति की संपत्ति पर बराबरी का हक मिलना चाहिए।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक तलाकशुदा महिला के मामले में स्पष्ट किया कि यदि पत्नी ने वैवाहिक जीवन के दौरान घर की देखभाल, बच्चों की परवरिश और घरेलू जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है, तो उसे पति की अर्जित संपत्ति में अधिकार मिलना चाहिए। यह फैसला देशभर की महिलाओं के लिए मिसाल बन गया है, खासतौर पर उन महिलाओं के लिए जो सालों तक परिवार के लिए घर पर रहकर काम करती हैं लेकिन उन्हें आर्थिक रूप से नजरअंदाज कर दिया जाता है।
वैवाहिक साझेदारी का सिद्धांत लागू
कोर्ट ने इस मामले में Marital Partnership Principle यानी “वैवाहिक साझेदारी सिद्धांत” को मान्यता दी है। इस सिद्धांत के अनुसार, शादी के बाद पति और पत्नी दोनों मिलकर जीवन जीते हैं और परिवार का निर्माण करते हैं। भले ही पत्नी नौकरी न करे, लेकिन उसका घरेलू योगदान उतना ही अहम होता है जितना कि पति की कमाई। इसलिए संपत्ति बंटवारे में उसे भी बराबरी का हक मिलना चाहिए।
अब तक की स्थिति क्या थी?
अब तक संपत्ति के अधिकार को लेकर महिलाओं को सिर्फ उन संपत्तियों पर हक मिलता था, जो पति की मृत्यु के बाद विरासत के रूप में आती थीं या कानूनी रूप से नाम ट्रांसफर होती थीं। तलाक या अलगाव के मामलों में ज्यादातर महिलाओं को आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ता था, क्योंकि घरेलू काम को आय का स्त्रोत नहीं माना जाता था। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद यह सोच बदलने वाली है।
क्या इस फैसले से कानून में बदलाव होगा?
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आने वाले समय में Hindu Marriage Act, Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, और अन्य व्यक्तिगत कानूनों को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, यह फैसला अभी एक मिसाल (precedent) है और इसे व्यापक कानून का रूप देने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे। फिर भी यह न्यायिक सक्रियता का एक मजबूत उदाहरण है, जिससे आगे की न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित होगी।
महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता की दिशा में अहम कदम
यह फैसला Women Empowermशा में प्रोत्साहित करेगा, बल्कि समाज में उनकी स्थिति को भी सुदृढ़ करेगा।
सामाजिक और कानूनी विशेषज्ञों की राय
कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और कानून विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला समाज में लंबे समय से चली आ रही असमानताओं को खत्म करने की ओर एक बड़ा कदम है। वकील और महिला अधिकार कार्यकर्ता इसे एक सकारात्मक पहल मानते हैं, जो अदालतों में महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने में मदद करेगा।
यह फैसला किन मामलों पर लागू होगा?
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला खासतौर पर उन मामलों पर लागू हो सकता है:
- जहां महिला ने कई साल तक घरेलू जिम्मेदारियां निभाईं हों
- पति की संपत्ति पर पत्नी का कोई कानूनी दावा न हो
- तलाक के मामलों में संपत्ति का बंटवारा तय हो रहा हो
- पति द्वारा संपत्ति पत्नी के नाम पर ट्रांसफर नहीं की गई हो