F-16 vs India: क्या पाकिस्तान भारत पर F-16 से हमला कर सकता है? अमेरिका के नियम सुनकर आप चौंक जाएंगे!

गुरुवार, 08 मई की रात भारत ने पाकिस्तान की ओर से जम्मू, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में किए गए हमले की कोशिशों को नाकाम कर एक बार फिर अपनी सैन्य सतर्कता और ताकत का प्रदर्शन किया। इस घटना ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान के बीच लंबे समय से जारी सैन्य तनाव को उजागर किया। लेकिन इस बार चर्चा का केंद्र रहा पाकिस्तान के एफ-16 (F-16) लड़ाकू विमानों की संभावित तैनाती।
क्या इस्लामाबाद ने वास्तव में अमेरिका से मिले इन अत्याधुनिक विमानों को भारत के खिलाफ मोर्चे पर उतारा? और अगर ऐसा किया गया, तो क्या यह अमेरिका के साथ किए गए समझौतों का उल्लंघन नहीं होगा? इन सवालों ने एक बार फिर इस संवेदनशील मुद्दे को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर चर्चा का विषय बना दिया है।
F-16 का सीमित प्रयोग: अमेरिका की सख्त निगरानी
पाकिस्तान के पास तकरीबन 75-80 F-16 फाइटर जेट्स हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल उसकी मर्जी से नहीं होता। इन लड़ाकू विमानों की बिक्री अमेरिका द्वारा Foreign Military Sales (FMS) प्रोग्राम के तहत की गई थी। इसके तहत पाकिस्तान ने एंड-यूज़ मॉनिटरिंग (End-Use Monitoring – EUM) समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके मुताबिक वह इन विमानों का इस्तेमाल स्वतंत्र रूप से नहीं कर सकता। कोई भी बदलाव, तैनाती या रणनीतिक प्रयोग अमेरिकी स्वीकृति के बिना नहीं किया जा सकता।
अमेरिकी टीमें कर रही निगरानी
पाकिस्तानी वायुसेना के अड्डों पर अमेरिकी टीमें चौबीसों घंटे निगरानी करती हैं। ‘गोल्डन सेंट्री’ (Golden Sentry) और ‘ब्लू लैंटर्न’ (Blue Lantern) जैसे प्रोग्राम्स के तहत ये टीमें यह सुनिश्चित करती हैं कि अमेरिकी हथियारों का गलत इस्तेमाल न हो। ये निगरानी दल यह भी सुनिश्चित करते हैं कि इन विमानों का प्रयोग केवल आतंकवाद-रोधी अभियानों में हो, विशेष रूप से पाकिस्तान के पश्चिमी इलाकों में – भारत के साथ किसी भी सैन्य संघर्ष में नहीं।
नियम क्या कहते हैं?
अमेरिका और पाकिस्तान के बीच हुए समझौते स्पष्ट करते हैं कि F-16 और AIM-120 AMRAAM मिसाइल जैसे अत्याधुनिक अमेरिकी हथियारों का प्रयोग किसी भी पारंपरिक युद्ध (Conventional War) में नहीं किया जा सकता। जब तक वाशिंगटन से स्पष्ट अनुमति न मिले, पाकिस्तान इनका उपयोग सीमा पार संघर्षों में नहीं कर सकता। अमेरिका ने भले ही आधिकारिक दस्तावेजों में भारत का नाम नहीं लिया हो, लेकिन इस बात की स्पष्ट समझ है कि भारत के खिलाफ इनका प्रयोग एक बड़ी कूटनीतिक चूक मानी जाएगी।
2019 की बालाकोट घटना
F-16 विमानों की तैनाती पर यह विवाद कोई नया नहीं है। 2019 में बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ F-16 विमानों का प्रयोग किया था, जिसके बाद अमेरिका ने उसे चेतावनी दी थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, अगस्त 2019 में अमेरिका ने पाकिस्तानी एयर चीफ को कड़ी फटकार लगाते हुए एक पत्र भेजा था, जिसमें कहा गया था कि F-16 को अनधिकृत ठिकानों पर ले जाकर वह ‘साझा सुरक्षा को खतरे में डाल रहा है।’ यह चेतावनी दर्शाती है कि अमेरिका अपने हथियारों के इस्तेमाल को लेकर कितना संवेदनशील है।
अगर पाकिस्तान फिर नियम तोड़ता है तो?
यदि पाकिस्तान भविष्य में फिर से F-16 का उपयोग भारत के खिलाफ करता है, तो अमेरिका सपोर्ट सिस्टम और पुर्जों की सप्लाई बंद कर सकता है। इसका सीधा असर पाकिस्तान के F-16 बेड़े की ऑपरेशनल क्षमता पर पड़ेगा। अमेरिका में कांग्रेस भी इस पर कड़ी निगरानी रखती है, जिससे पाकिस्तान की रणनीतिक स्वतंत्रता और सीमित हो जाती है। यह भी एक प्रमुख कारण है कि पाकिस्तान के लिए भारत के साथ संघर्ष की स्थिति में F-16 विमानों का प्रयोग करना न केवल जोखिमपूर्ण, बल्कि दीर्घकालिक रूप से घातक साबित हो सकता है।
अमेरिका की हालिया नीति और पाकिस्तान की उलझन
हाल के वर्षों में अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ F-16 समर्थन को यह कहकर बनाए रखा है कि वह ‘आतंकवाद विरोधी सहयोगी’ है। 2022 में भी अमेरिका ने इसी आधार पर पाकिस्तान को F-16 उपकरणों और मरम्मत का समर्थन जारी रखा। हालांकि, यह समर्थन पारंपरिक युद्धों में प्रयोग के लिए नहीं बल्कि आतंकवाद-रोधी अभियानों तक सीमित है। यह स्पष्ट करता है कि अमेरिका पाकिस्तान को भारत के खिलाफ युद्ध में F-16 का इस्तेमाल करने की खुली छूट नहीं देता।