Sarais Act 1867: होटल में टॉयलेट यूज़ करने से आपको कोई नहीं रोक सकता! कानून देता है ये अधिकार, देखें

राजस्थान के प्रसिद्ध खाटू श्याम मंदिर में हाल ही में एक ऐसी घटना घटी, जिसने पूरे देश में नागरिक अधिकारों पर बहस छेड़ दी। एक परिवार अपनी बीमार बुजुर्ग सदस्य के साथ दर्शन के लिए मंदिर आया था। जब महिला को अचानक वॉशरूम (टॉयलेट) की ज़रूरत पड़ी, तो पास के होटल से मदद की उम्मीद की गई। लेकिन होटल ने केवल कुछ मिनटों के इस्तेमाल पर 805 रुपए वसूल लिए। इस अमानवीय व्यवहार की जानकारी जैसे ही पीड़ित परिवार की एक सदस्य ने लिंक्डइन पर साझा की, यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और आम जनता के बीच एक बड़ा सवाल उभरकर आया – क्या भारत में वॉशरूम के इस्तेमाल का कोई कानूनी अधिकार है?
वॉशरूम इस्तेमाल को लेकर भारत का कानून क्या कहता है?
यह मामला सिर्फ एक बीमार महिला तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हर नागरिक के गरिमा से जीने के अधिकार से जुड़ा हुआ है। भारत में इंडियन सराय एक्ट, 1867 इस विषय पर अब भी प्रभावी है। इस कानून की धारा 7(2) के अनुसार, कोई भी व्यक्ति किसी होटल या सराय से पीने का पानी या वॉशरूम की सुविधा मांग सकता है, भले ही वह वहां रुका हुआ न हो। यही नहीं, इस कानून के तहत होटल या गेस्ट हाउस वॉशरूम के बदले पैसे नहीं वसूल सकते।

सराय का क्या मतलब है और यह किसे कवर करता है?
‘सराय’ शब्द ब्रिटिश काल में प्रयुक्त होता था, जिसका तात्पर्य ऐसे स्थानों से होता है जहां यात्री थोड़े समय के लिए रुकते हैं और उन्हें बुनियादी सुविधाएं मिलती हैं – जैसे वॉशरूम, पानी और ठहरने का स्थान। आज के संदर्भ में यह होटल, लॉज, धर्मशाला और गेस्ट हाउस जैसे आधुनिक प्रतिष्ठानों पर भी लागू होता है।
क्या होटल्स वॉशरूम इस्तेमाल करने से मना कर सकते हैं?
नहीं। किसी होटल या गेस्ट हाउस को यह अधिकार नहीं है कि वह व्यक्ति को वॉशरूम इस्तेमाल करने से रोके, खासकर आपातकालीन या स्वास्थ्य से जुड़ी स्थिति में। यह मानव गरिमा और स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार का उल्लंघन माना जाएगा। यदि किसी को वॉशरूम इस्तेमाल करने से मना किया जाता है, तो वह स्थानीय नगर निगम, पर्यटन विभाग या जिला प्रशासन में शिकायत कर सकता है।

पैसे लेकर वॉशरूम देने पर क्या है कानून?
जैसा कि इस घटना में देखा गया, होटल ने वॉशरूम इस्तेमाल के लिए 805 रुपए वसूले। लेकिन इंडियन सराय एक्ट, 1867 के मुताबिक यह पूरी तरह गैरकानूनी है। वॉशरूम सुविधा होटल द्वारा मुफ्त दी जानी चाहिए। यदि उपभोक्ता से पैसे लिए जाते हैं, तो उसके पास शिकायत का कानूनी अधिकार है और होटल को मुआवजा देना पड़ सकता है।
अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में वॉशरूम एक्सेस की स्थिति
अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों में वॉशरूम (Toilet) एक्सेस को लेकर स्पष्ट और सख्त कानून हैं। वहां पर होटल्स और रेस्टोरेंट्स को कभी-कभी गैर-ग्राहकों को भी वॉशरूम की अनुमति देनी पड़ती है, खासकर मेडिकल इमरजेंसी जैसी परिस्थितियों में। भारत में इस तरह का कोई अलग कानून तो नहीं है, लेकिन संविधान के तहत नागरिक गरिमा और समानता के अधिकारों के अंतर्गत यह मामला आता है।
वॉशरूम के इस्तेमाल से मना करने पर होटल या गेस्ट हाउस के खिलाफ क्या कार्रवाई हो सकती है?
अगर कोई होटल या गेस्ट हाउस किसी व्यक्ति को वॉशरूम (Toilet) इस्तेमाल करने से रोकता है, खासकर तब जब वह व्यक्ति बीमार, वृद्ध या आपातकालीन स्थिति में हो, तो यह सिर्फ असंवेदनशीलता नहीं बल्कि कानून का उल्लंघन है। इंडियन सराय एक्ट, 1867 के तहत यह गैरकानूनी है और इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
ऐसी स्थिति में व्यक्ति निम्नलिखित कानूनी कदम उठा सकता है:
- स्थानीय नगर निगम या नगरपालिका में शिकायत: इन संस्थाओं के पास यह अधिकार होता है कि वे होटल या गेस्ट हाउस के खिलाफ जांच कर सकें और लाइसेंस रद्द करने या जुर्माना लगाने की सिफारिश कर सकें।
- पर्यटन विभाग को सूचित करना: यदि यह होटल पर्यटन क्षेत्र में पंजीकृत है तो इसकी शिकायत राज्य या केंद्र सरकार के पर्यटन विभाग से की जा सकती है।
- जिला प्रशासन में शिकायत: स्थानीय एसडीएम या जिलाधिकारी को लिखित शिकायत दी जा सकती है, खासकर अगर मामला जनस्वास्थ्य और गरिमा से जुड़ा हो।
- राज्य मानवाधिकार आयोग: अगर यह घटना व्यक्ति की गरिमा, स्वास्थ्य या मूलभूत मानवाधिकारों का उल्लंघन करती है, तो इसकी शिकायत राज्य या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में की जा सकती है।
- उपभोक्ता फोरम में मामला: यदि व्यक्ति होटल में रुका था और उसने सेवा के लिए भुगतान किया था, पर वॉशरूम जैसी बुनियादी सुविधा नहीं दी गई, तो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज की जा सकती है।
- मुआवजे की मांग: मानसिक पीड़ा या स्वास्थ्य जोखिम के आधार पर होटल से मुआवजे की मांग भी की जा सकती है।
कानूनी दृष्टि से, ऐसे मामले में होटल को न सिर्फ माफी मांगनी पड़ सकती है, बल्कि उचित जुर्माना या व्यवसायिक अनुमति रद्द होने का भी खतरा होता है। यही कारण है कि हर नागरिक को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना चाहिए और ऐसे मामलों में चुप न रहकर कार्रवाई करनी चाहिए।